मंगलवार, 20 मार्च 2012

ऊर्जा का महत्व हम सब के जीवन में - २



आप सब को विषय पसंद आया तो मेरा लिखना सार्थक हुआ,शुक्रिया आप सब का ,जाने तब से इस विषय पर लिखना चाहती थी पर ये विषय को कहाँ से उठाया जाए बस ये ही समझ नहीं आता था,कारण के इस विषय में एक साथ काफी विषय गुंथे हुए है उदाहरण :- ईश्वर,ब्रहमांड ,पृथ्वी ,प्रकृति ,हम सब के रहने के स्थान ,और हम ,इन में से किसी भी एक विषय को उठाओ तो अन्य सब विषय साथ -२ हो लेते है कहीं भी जरा सा मौका मिला नहीं के इन में से कोई भी विषय खुद को प्रकट करने में देर नहीं लगता और सामने वाले को समझ नहीं आता के बात तो उठी थी ऊर्जा की फिर हम इन सब विषयों पर चर्चा क्यूँ करने लगे ,कई बार विषय परिवर्तन की सम्भावना बनेगी ही इस लिए यहाँ ये स्पष्ट करना उचित है के ईश्वर स्वयं एक ऊर्जा है उसे परमात्मा भी कहा जाता है और हम उस का एक अंश आत्मा जो की खुद भी एक ऊर्जा (प्राण ऊर्जा ) के सिवा कुछ नहीं  

              उस एक बहुत विशाल ऊर्जा पुंज (परमात्मा ) के द्वारा हम (आत्मा ) छोटे -२,असंख्य ऊर्जा पुंज संचालित होते है ,पर ये ऊर्जा हम तक सीधे ना पहुच कर वाया प्रकृति आती है ठीक वैसे ही जैसे बिजली घर से बिजली पहने एक विशाल ट्रांसफार्मर को जाए और फिर छोटे ट्रासफार्मर को और फिर वहां से  हम सब के घर में
पहुंचे !

मनुष्य जब तक प्रकृति के हिसाब से जीता था तब तक वो ऊर्जा हम तक बिलकुल ठीक से अपने सही रूप में हम तक पहुँच जाती थी समस्या तब उत्पन्न होनी शुरू हुई जब इंसान से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करनी आरम्भ कर दी 

खुद के लिए भोतिक सुख सुविधाओं  को बढाते रहने की चाह के कारण मनुष्य ने  प्रकृति के साथ इतना  खिलवाड़ किया है के उसके द्वारा हम तक आने वाली निर्बाधित ऊर्जा के लिए अनेक बाधाये पैदा करके 
खुद के ही पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली है ,इस में एक बड़ा योगदान बढती जनसँख्या रहा है पहले सब के पास खेती के अलावा रहने के लिए काफी भूमि होती थी ,बड़े हवादार मकान और खुले आँगन होते थे जिस कारण हम तक प्ररण ऊर्जा पहुंचे में अधिक कठिनाई नहीं होती थी ,पीढ़ी दर पीढ़ी मकान में रहने वालों की संख्या बढती गयी मकान कई हिस्सों में बटते चले गए और हालत इतने खराब हो गए है के २ या ४ कमरों कीएक जगह जिस में साथ -२ सटे शौचालय ,रसोई और स्नानागार हों को घर कहा जाने लगा है जिस में आँगन के नाम पर छोटी सी बालकनी होती है और कहीं -२ वो भी नहीं.   हवा ,रौशनी आने के पर्याप्त स्रोत भी नहीं होते तो जितनी उर्जा की उत्तम जीबन जीने के लिए जरूरत होती है वो मिल नहीं पाती  और वास्तुज्ञान न होने के कारण घर के जिस हिस्से में जो स्थान होना चाहिए वो भी  नहीं होता तो जो थोड़ी बहुत उर्जा आती भी है वो भी नकारात्मक रूप धारण कर लेती है परिणाम स्वरूप बीमारियाँ और लड़ाई झगडे हम लोगों के जीवन का अटूट हिस्सा बनते जा रहे है 
यदि  वास्तु के हिसाब से घर में परिवर्तन करवा लिए जाए तो उससे अच्छा कोई विकल्प ही नहीं,किन्तु ये काफी महंगा और मुश्किल उपाय है  कुछ और सरल उपाय है जिनसे पूरी तरह तो नहीं किन्तु आंशिक रूप  से नकारात्मक उर्जा को खत्म करके  सकारात्मक उर्जा पाई जा सकती है ......क्रमशः


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