tag:blogger.com,1999:blog-6674842077282161932024-02-08T07:42:29.608-08:00ऊर्जाavanti singhhttp://www.blogger.com/profile/05644003040733538498noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-667484207728216193.post-17918142531332132012-03-30T07:06:00.001-07:002012-03-30T08:13:24.375-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><h6 class="uiStreamMessage" data-ft="{"type":1}"><span class="messageBody" data-ft="{"type":3}">ऊर्जा का महत्व हम सब के जीवन में- 4<br />
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<b>नकारात्मक उर्जा से बचने के और भी कई उपाय होते है उन में से एक और उपाय ये है के अपने आभामंडल(औरा) को </b>इतना मजबूत बनाया जाए के उस पर नकारात्मक उर्जा का असर न हो सके ,उसे मजबूत बनाने के लिए हमे अपने नकारात्मक विचारों और सोच तो त्यागना बेहद आवश्यक है,जिन लोगों का आभामंडल मजबूत और सकारत्मक उर्जा से भरपूर होता है उन पर नेगेटिव उर्जा बहुत जल्दी असर नहीं डाल पाती,खुद को उदार, दयावान ,बनाने से और सकारत्मक सोच रखने से आभामंडल बहुत मजबूत बन जाता है ,हो सकता है आभामंडल के बारे में कोई जिज्ञासा उठे तो आभामंडल होता क्या है इसे समझाने के लिए मैं एक पुस्तक के कुछ अंश यहाँ लिख रही हूँ पुस्तक का नाम है<br />
धर्म का परम विज्ञान<br />
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(महावीर वाणी )<br />
by osho<br />
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आप कभी भी अकेले नहीं होते ,प्रत्येक मनुष्य अपने साथ एक( औरा ) आभामंडल लेकर चलता है ,जिसे इलेक्ट्रो- डायनेमिक -फील्ड भी कहते है वो मनुष्यों के आस पास ही नहीं पशुओं के आस पास भी होता है ,रुसी वैज्ञानिकों का तो यहाँ तक कहना है के जीवित प्राणी का ही नहीं पेड़-पौधों और हर एक सजीव वस्तु का एक औरा होता है !<br />
जब कोई व्यक्ति मरता है तो उस के औरा को पूरी तरह खत्म होने में ३ दिन लगते है ,जो व्यक्ति जितना जीवंत होता है उस का आभामंडल उतना ही बड़ा होता है ,संतों,और देवी देवताओं की तस्वीर के पीछे जिस प्रकाश को दर्शाया जाता है वो उन के आभामंडल की और ही एक इशारा होता है<br />
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१९३० में एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने एक रासायनिक प्रक्रिया निर्मित की जिस के द्वारा कोई भी किसी का भी औरा देख सकता है !<br />
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आभामंडल को बदलने (स्वस्थ बनाने ) के लिए प्रत्येक धर्म के पास अपना एक मन्त्र मौजूद है जैसे जैन परम्परा के पास नमोकार मन्त्र है ऐसे ही सभी धर्मों के अपने मन्त्र है जो इस काम में विशेष योगदान करते है ....क्रमश ........</div>avanti singhhttp://www.blogger.com/profile/05644003040733538498noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-667484207728216193.post-75180029171449805572012-03-26T22:08:00.002-07:002012-04-02T21:38:19.127-07:00ऊर्जा का महत्व हम सब के जीवन में- 3<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b> </b><b>ऊर्जा का महत्व हम सब के जीवन में- 3</b><br />
<b>============================</b><br />
<b> २ या ४ कमरों कीएक जगह जिस में साथ -२ सटे शौचालय ,रसोई और स्नानागार हों को घर कहा जाने लगा है जिस में आँगन के नाम पर छोटी सी बालकनी होती है और कहीं -२ वो भी नहीं. हवा ,रौशनी आने के पर्याप्त स्रोत भी नहीं होते तो जितनी उर्जा की उत्तम जीबन जीने के लिए जरूरत होती है वो मिल नहीं पाती और वास्तुज्ञान न होने के कारण घर के जिस हिस्से में जो स्थान होना चाहिए वो भी नहीं होता तो जो थोड़ी बहुत उर्जा आती भी है वो भी नकारात्मक रूप धारण कर लेती है परिणाम स्वरूप बीमारियाँ और लड़ाई झगडे हम लोगों के जीवन का अटूट हिस्सा बनते जा रहे है </b><br />
<b>यदि वास्तु के हिसाब से घर में परिवर्तन करवा लिए जाए तो उससे <span id="51_TRN_34">अच्छा </span>कोई विकल्प ही नहीं,किन्तु ये काफी महंगा और मुश्किल उपाय है कुछ और सरल उपाय है जिनसे पूरी तरह तो नहीं किन्तु आंशिक रूप से नकारात्मक उर्जा को खत्म करके सकारात्मक उर्जा पाई जा सकती है ......</b><br />
<b>दिशाओं के स्वभाव को जान कर उन के अनुरूप सामान ही रखें,</b><br />
<b>========================================= </b><br />
<b>जैसे इशान कोण में पूजा का स्थान,पानी संचय ,स्टडी रूम ,बच्चों के सोने का कमरा इत्यादि होने चाहिए </b><br />
<b>दक्षिण दिशा में भारी सामान अलमारी,बिजली के सभी उपकरण, बिजली का मीटर,मोटर इत्यादि होना चाहिए </b><br />
<b>पश्चिम में दम्पति के सोने का स्थान ,आग्नेय कोण में रसोई ,यदि आग्नेय कोण में रसोई न हो तो रसोई का आग्नेय कोण जाने और उस स्थान पर खाना बनाने के लिए अग्नि जलाये !</b><br />
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<b>नमक में नकारात्मक उर्जा को सोखने की अद्भुत शक्ति होती है ,अपने घर के उस स्थान पर जहां सब लोग अधिक समय व्यतीत करते हो एक बड़े कटोरे में नमक भर कर रखें ,नकारात्मक ऊर्जा आपसी मनमुटाव के कारण बन रही हो या वास्तु दोष के कारण ,उसे नमक सोख लेगा और आप कुछ ही दिनों में राहत महसूस करेगे </b><br />
<b>समस्या के कम या ज्यादा होने के हिसाब से नमक की मात्रा कम या ज्यादा की जा सकती है </b><br />
<b>लगभग २० दिन के बाद उस नमक को नाली में बहा दें और नया नमक कटोरे में भर के रख दें </b><br />
<b>नकारात्म ऊर्जा को खत्म करने के और उपाय अगली बार.......क्रमशः </b><br />
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<b> </b><br />
<b><span id="51_TRN_45"><span id="51_TRN_47"><span id="51_TRN_49"></span></span></span><span id="51_TRN_1f"></span></b></div>avanti singhhttp://www.blogger.com/profile/05644003040733538498noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-667484207728216193.post-36164822459421483492012-03-20T21:38:00.000-07:002012-03-20T21:38:51.540-07:00ऊर्जा का महत्व हम सब के जीवन में - २<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b><br />
</b><br />
<b>आप सब को विषय पसंद आया तो मेरा लिखना सार्थक हुआ,शुक्रिया आप सब का ,जाने तब से इस विषय पर लिखना चाहती थी पर ये विषय को कहाँ से उठाया जाए बस ये ही समझ नहीं आता था,कारण के इस विषय में एक साथ काफी विषय गुंथे हुए है उदाहरण :- ईश्वर,ब्रहमांड ,पृथ्वी ,प्रकृति ,हम सब के रहने के स्थान ,और हम ,इन में से किसी भी एक विषय को उठाओ तो अन्य सब विषय साथ -२ हो लेते है कहीं भी जरा सा मौका मिला नहीं के इन में से कोई भी विषय खुद को प्रकट करने में देर नहीं लगता और सामने वाले को समझ नहीं आता के बात तो उठी थी ऊर्जा की फिर हम इन सब विषयों पर चर्चा क्यूँ करने लगे ,कई बार विषय परिवर्तन की सम्भावना बनेगी ही इस लिए यहाँ ये स्पष्ट करना उचित है के ईश्वर स्वयं एक ऊर्जा है उसे परमात्मा भी कहा जाता है और हम उस का एक अंश आत्मा जो की खुद भी एक ऊर्जा (प्राण ऊर्जा ) के सिवा कुछ नहीं </b><br />
<b> </b><br />
<b> उस एक बहुत विशाल ऊर्जा पुंज (परमात्मा ) के द्वारा हम (आत्मा ) छोटे -२,असंख्य ऊर्जा पुंज संचालित होते है ,पर ये ऊर्जा हम तक सीधे ना पहुच कर वाया प्रकृति आती है ठीक वैसे ही जैसे बिजली घर से बिजली पहने एक विशाल ट्रांसफार्मर को जाए और फिर छोटे ट्रासफार्मर को और फिर वहां से हम सब के घर में </b><br />
<b>पहुंचे !</b><br />
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<b>मनुष्य जब तक प्रकृति के हिसाब से जीता था तब तक वो ऊर्जा हम तक बिलकुल ठीक से अपने सही रूप में हम तक पहुँच जाती थी समस्या तब उत्पन्न होनी शुरू हुई जब इंसान से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करनी आरम्भ कर दी </b><br />
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<b>खुद के लिए भोतिक सुख सुविधाओं को बढाते रहने की चाह के कारण मनुष्य ने प्रकृति के साथ इतना खिलवाड़ किया है के उसके द्वारा हम तक आने वाली निर्बाधित ऊर्जा के लिए अनेक बाधाये पैदा करके </b><br />
<b>खुद के ही पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली है ,इस में एक बड़ा योगदान बढती जनसँख्या रहा है पहले सब के पास खेती के अलावा रहने के लिए काफी भूमि होती थी ,बड़े हवादार मकान और खुले आँगन होते थे जिस कारण हम तक प्ररण ऊर्जा पहुंचे में अधिक कठिनाई नहीं होती थी ,पीढ़ी दर पीढ़ी मकान में रहने वालों की संख्या बढती गयी मकान कई हिस्सों में बटते चले गए और हालत इतने खराब हो गए है के २ या ४ कमरों कीएक जगह जिस में साथ -२ सटे शौचालय ,रसोई और स्नानागार हों को घर कहा जाने लगा है जिस में आँगन के नाम पर छोटी सी बालकनी होती है और कहीं -२ वो भी नहीं. हवा ,रौशनी आने के पर्याप्त स्रोत भी नहीं होते तो जितनी उर्जा की उत्तम जीबन जीने के लिए जरूरत होती है वो मिल नहीं पाती और वास्तुज्ञान न होने के कारण घर के जिस हिस्से में जो स्थान होना चाहिए वो भी नहीं होता तो जो थोड़ी बहुत उर्जा आती भी है वो भी नकारात्मक रूप धारण कर लेती है परिणाम स्वरूप बीमारियाँ और लड़ाई झगडे हम लोगों के जीवन का अटूट हिस्सा बनते जा रहे है </b><br />
<b>यदि वास्तु के हिसाब से घर में परिवर्तन करवा लिए जाए तो उससे <span id="51_TRN_34">अच्छा </span>कोई विकल्प ही नहीं,किन्तु ये काफी महंगा और मुश्किल उपाय है कुछ और सरल उपाय है जिनसे पूरी तरह तो नहीं किन्तु आंशिक रूप से नकारात्मक उर्जा को खत्म करके सकारात्मक उर्जा पाई जा सकती है ......<span id="51_TRN_45"><span id="51_TRN_47"><span id="51_TRN_49">क्रमशः </span></span></span><span id="51_TRN_1f"></span><br />
</b><br />
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</div>avanti singhhttp://www.blogger.com/profile/05644003040733538498noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-667484207728216193.post-1103749986225875832012-03-20T05:45:00.001-07:002012-03-20T21:39:47.766-07:00ऊर्जा का महत्व<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b>ऊर्जा का महत्व हम सब के जीवन में -1</b><br />
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<b>ये विषय बहुत ही विस्तृत है कुछ पंक्तिओं में इस पर नहीं लिखा जा सकता सार लिखने की कोशिश करुगी </b><br />
<b>ऊर्जा के बिना जीवन सम्भव ही नहीं है हमे ऊर्जा अनेक प्रकार से मिलती है ऊर्जा प्राकृतिक भी होती है और कृत्रिम भी, </b><b> प्राकृतिक ऊर्जा हमें पंचतत्वों से मिलती है ,हर एक दिशा की अपनी अलग प्रकार की ऊर्जा होती है </b><br />
<b>गड़बड़ तब हो जाती है हम किसी दिशा की ऊर्जा के स्वभाव के विपरीत उस दिशा का उपयोग करते है उदाहरण :- दक्षिण दिशा से जो ऊर्जा हम तक आती है वो अग्नि प्रधान होती है ,यदि हम अपने ऑफिस या घर में उस दिशा में अग्नि या बिजली से सम्बंधित कार्य करें वैसे ही उपकरण वहां रखें तो हमे उस ऊर्जा का लाभ मिलता है ,यदि किसी और प्रकार के कार्य वहां किये जाएँ तो ऊर्जा नष्ट हो जाती है या उस में दोष पैदा हो जाता , इस लिए वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है ,दूषित हुई ऊर्जा को नेगेटिव एनर्जी भी कहा जाता है ,यदि हमारे घर या ऑफिस में किसी की कारण नेगेटिव </b><b> एनर्जी बन रही हो या आ रही हो तो ,वो हमारे स्वभाव पर और स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है ,ऐसे स्थानों में रहने वाले लोग ,चिडचिडे और लडाकू स्वभाव के हो जाते है ,इस के विपरीत यदि हम सकारात्मक ऊर्जा में रहे तो खुद को स्वस्थ्य और खुश महसूस करते है </b><br />
<b>नकरात्म ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित भी किया जा सकता है , इस विषय पर कई घंटे लिख सकती हूँ पर अभी लगता है काफी लिख दिया शायद इससे ज्यादा लिखा तो कोई पढ़ेगा भी नहीं :):)</b><br />
<b>अगर विषय मेरी मित्र मण्डली को पसंद आया तो आगे लिखुगी .... <br />
</b></div>avanti singhhttp://www.blogger.com/profile/05644003040733538498noreply@blogger.com0